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________________ ( २३ ) ) पट्टावली नंबर ४ - ५ और ६ तथा प्राचीन रासाओं व पुरांणे कवित के पाने, यतिवर्य मारणकसुन्दरजी द्वारा । प्रस्तावना. ( ६ ) कोरंट गच्छीय श्री पूज्यजी की बही जिस में २१ गोत्रों की वंशावलियाँ है - यतिवर्य माणकसुन्दरजी द्वारा । ( ७ ) उपकेश गच्छ चरित्र - यतिवर्य प्रेमसुन्दरजी द्वारा । (८) कोरंट गच्छीय पट्टावली - यतिवर्य माणकसुन्दरजी द्वारा । ( ९ ) तपागच्छ वृहत् पट्टावली --तैमासिक पत्र द्वारा । (१०) खरतर गच्छ पट्टावली - गणि क्षमा कल्याणजी - रचित । (११) गच्छ मत्त प्रबन्ध - आचार्य श्री बुद्धिसागरसूरि । (१२) राज तरंगिणी । यतिवर्य लाभसुन्दरजी द्वारा (१३) जैन धर्म विषयक प्रश्नोत्तर - आचार्य विजयानंदसूरि । (१४) प्रभाविक चरित्र - आचार्य प्रभाचंद्रसूरि । (१५) प्रबन्ध चिन्तामणी - आचार्य मेरुतुङ्गसूरि | (१६) कुवलय कथा तैमालिक | पत्रद्वारा (१७) शतपदी - आंचल गच्छ आचार्य मेरुतुङ्गसूरि ! (१८) जैन प्राचीन इतिहास भाग १ तथा २ पं. हीरालाल हंसराज | जामनगरवाला का छपाया (१) जैन इतिहास - जैन धर्म प्रसारक सभा भावनगर से मुद्रित । (२०) शत्रुञ्जय उद्धार -मुनि विजयजी | 99 (२१) विमल चरित्र - " जैन भावनगर ।
SR No.002448
Book TitleJain Jati mahoday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherChandraprabh Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1995
Total Pages1026
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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