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भीमाल शाति.
(९९) सांगरिया फलोहट इत्यादि ज्ञातियां ही श्रीमालों की प्रावादी व छाति बता रही है सामान्यता से इस ज्ञाति के दो भेद है ( १ ) वीसाश्रीमान ( वृद्ध सन्जनिया ) (२) दशाश्रीमाल ( लघु सजनिया ) इस शाति का रीत रिवाज खान पान शौर्य्यता वीरता उदारता प्रोसवालों की माफिक जगत् विख्यात है इस ज्ञाति के नररत्नोंने देशसेवा समाजसेवा धर्मसेवा आदि आदि पवित्र कार्य कर अपनी उज्ज्वल कीर्ति को अमर बनादी है उन अग्रेसर वीरों के कतीपय नाम___ जैसे सांडाशा, टाकाशा, गोपाशा, वागाशा, डुगरशी, भीमशी, पुनशी, पेमाशा, भादाशा, नरसिंह, मेणपाल, राजपाल, उद्धाशा, भोजराज, नैणसी, खेतसी, धर्मसी, मीठाशा, टीलो वाणियो, सतीदास, झालाशा, हरखाशा, टोडरमल, भोलाशा, देपालशा, ताराचंद, रत्नसी, नरपाल, जगडूशा, पाल्हणसी, उदायन, श्राम्र, अरेपाल, भैरूशा, रामाशा भारमल, जगजीवन इत्यादि सेकड़ो हजारों प्रसिद्ध पुरुष हुवे हैं हमारी सोधखोज के अन्दर हम को जितना इतिहास मिला है वह हम आगे के प्रकरण में दे देगें और हम हमारे श्रीमाल ज्ञाति के अप्रेसर भाइयों से निवेदन करते है कि
आप अपनि ज्ञाति के वीर पुरुषों का जीवना इतिहास मिले वह हमारे पास भेजने का प्रबन्ध करे कि उसे आगे के प्रकरणों में दे दिया जावे।
प्राचार्य स्वयंप्रभसूरि के बाद विक्रम की पाठवी शताब्दी में हुवे प्राचार्य उदयप्रभसूरिने भी कितनेक लोगों को प्रतिबोध दे पूर्व श्रीमाल ज्ञाति में वृद्धि की थी । उदयप्रभसरि के पहिले श्रीमाली