SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 574
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीमाल झाति. और कितनेक लेखकोने प्रचलीत नामो का उल्लेख किया इसी माफीक श्रीमाल भीनमाल के विषय भी समझना चाहिये। (७) श्रीमालनगर के लिये श्रीमालपुराण में बहुत विस्तार से उल्लेख मिलता हैं यद्यपि श्रीमालपुरांण इतना प्राचीन नहीं है कि जितना श्रीमालनगर है तथापि श्रीमालपुरांण की रचना के समय से पहिले श्रीमालनगर द्वापर के अन्त में वसने की मान्यता प्रचलित अवश्य थी वह कितने प्राचीन समय से थी इसका निर्णय साधन मिलने पर प्रकाशित किया जावेगा। (८) "श्रीमाल वाणियों के ज्ञातिमेद" नामका पुस्तक जो प्रो० मणिभाई बकोरभाई व्यास सुरतवालेने बनाई है प्रस्तुत पुस्तक में श्रीमालनगर व श्रीमालज्ञाति के विषय में लेखक महोदयने पुराणिक प्रमाण के साथ ऐतिहासिक प्रमाण द्वारा यह सिद्ध कर दिया है कि उपकेशपुर के पूर्व श्रीमालनगर अच्छी उन्नति पर था और श्रीमालनगर तूट के ही उपकेशपुर बसा है । जव उपकेशपुर का समय वि. सं. ४०. वर्ष पहिले का है तब श्रीमालनगर तो इस से प्राचीन होना स्वाभाविक ही है। इस विषय में हमारी सोधखोज फिर भी चालू है जैसे जैसे प्रमाण मिलते जावेंगे वैसे २ हम विद्वानों के सामने रखते जायेंगे सत्य को स्वीकार करना हमारा परम कर्तव्य है। श्रीमाल ज्ञाति के वीरोंने अपनि ज्ञाति की इतनी गेहरी उन्नति कर लि थी कि जिसके द्वारा ज्ञाति के बडे बडे नामी पुरुषों के नाम से, व व्यापारसे, व प्रामके नामसे, और केइ धर्मकार्यों से,
SR No.002448
Book TitleJain Jati mahoday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherChandraprabh Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1995
Total Pages1026
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy