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( ९४ ) श्री जैन जाति महोदय प्र. चोथा. कारण शुद्धि में भी ब्राह्मणों के वडी भारी प्रामंद ( पैदास) थी तब मंत्रीश्वर उन ब्राह्मणो से तंग हो अपने नगरवासी तमाम भाइयों को सुखी बनाने की नियत से अपनि द्रव्य सहायता से म्लेच्छ देश से एक बडी सैना बुलवा के उन प्रपंची ब्राह्मणों के पीच्छे लगाई तब वह ब्राह्मण तंग हो उपकेशपुर से भाग के श्रीमाल कि तरफ चले गये सैनांने भी उन का पीछा नहीं छोडा ब्राह्मण श्रीमाल नगर में घुस गये और म्लेच्छोने श्रीमाल नगर को घेर लिया. जब नगर के प्राग्रेसर लोगोंने म्लेच्छों को सैन्या लाने का कारण पुच्छा नब म्लेच्छोंने सब हाल के अन्तमें कहा कि यह ब्राह्मण लोग उपकेशपुर वासियों पर का कर छोड दे तो हम पीच्छे हट जावेंगे । इस पर वह नागरिक ब्राह्मणों से समजोता कर उपकेशपुर वासियों पर जो ब्राह्मणों का जुलमी टेन्न था वह सदैव के लिये छोडा दीया । तब म्लेच्छ लोग अपनि सेना ले उपकेशपुर श्रा कर ऊहड मंत्री को सब हाल कह दीया और मंत्रश्वरने उपकेशपुर में उद्घोषणा करवा दी इस विषय में चारित्रकारने समराइच्च कथा का सार से अवतर्ण दीया है" तस्मात् उपकेश ज्ञातिनां गुरुखों ब्राह्मणा नहि । उएस नगरं सर्व कररीण समृद्धि मत्ता । सर्वथा सर्व निर्मुक्त मुएस नगरं परम् । तत्प्रभृति संजातमिति लोको प्रवीणम् ॥"
भारतीय अन्योन्य ज्ञातियों के गुरु ब्राह्मण है पर उपकेश ज्ञाति (पोसवाल ज्ञाति) के साथ ब्राह्मणों का कुच्छ भी संबन्ध नहीं है इस का खास कारण उपर लिखि कथा ही ठीक प्रतित होती है।