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वस्तुपाल तेजपाल.
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परनारी सहोदर इत्यादि इन वीरों का बुद्धिबल कार्य दक्षता संग्राम वीरता और राजतंत्र चलाने कि कुशलता विद्वानों से छीपी हुई नहीं है इसी मुनाफीक इस पोरवाड जाति में धनाशाहा ( राणकपुर का मन्दिर बनानेवाला) और प्रशूशाहादि अनेक वीर हो गये है पोरवाड में गौत्रों कि संख्या - चोधरी काला धनगर रत्नावत धनोत मजारत डबकरा भादलिया कमलिया शेठिया उदीया भंभेड भूता फरकया भलवरीया मंडीवरिया मुतिया घाटिया गलिया भैसोत नवे परथा दानधरा मेहता खरडिया ईत्यादि यह पुराणे गोत्र है इस के सिवाय कितनेक नये नाम भी उद्भव हुवे हैं वह व्यापार व पीता व प्रामादि कारणो से समजना |
प्राचार्य स्वयंप्रभसूरिने जो पद्मावती नगरी में प्राग्वट स कि स्थापना की थी उन के साथ तो " पद्मावतीपोरवाड" का खीताब है और बाद प्राचार्य हरिभद्रसूरिने कितनेक लोगों को जैन बना प्राग्वट- पोरवाड ज्ञाति में सामिल कर दीये थे उन पोरवाडो कि तीन साखाए हुई (१) शुद्धा पोरवाड (२) सोरठीया पोरवाड और ( ३ ) कपोल पोरवाड बाद अनेक कारण पा के अलग अलग गौत्रो के नाम से पुकारे जाने लगे जो गोत्रो के इनकों नाम उपर लिखा है पोरवाडो में भी दशा वीसो का मुख्य दोय भेद है इस छातिमे अनेक नामी गामी पुरुष हुवे हैं जिन्हों का जितना इतिहास हम को मिला है और फिर मिलेगा वह सब प्रागे के प्रकरणों में दीया जावेगा यहां पर तो केवल ज्ञाति का परिचय कराया है इस ज्ञाति के प्रेसरों को चाहिये कि वह पनि ज्ञाति के इतिहास का संग्रह कर स्वयंमुद्रित करावे व हमारे