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( ९० ) जैन जाति महोदय प्र. चोथा. में इन वीरोंने कितना द्रव्य व्यय किया होगा जिस कि गणति करना मुश्किल है तथापि एक मारवाडी कविने एसा भी कहा है
पंच अर्ब जिन खर्व दीप दुर्बल आधारा पंच अर्व जिन खर्व की जिन जिमणवारा सत्याणवे कोड दीघ पोरवाल कबहु न नटे पुरियत पच्यासी क्रोड फूल तांबोलीहटै चंदण सुचीर कपुरमसी क्रोड बहुतर कपडा .
देतांज दान वस्तुपाल तेजपाल करतब वडा ॥१॥ __इत्यादि जैसे वस्तुपाल तेजपाल उदार थे वैसे ही प्राक्रमि भूजबली भी थे इतनाही नहीं पर उनके सब कुटुम्बके हृदय उन वीरताके रंगसे रंगे हुवे थे जिन्होंने अनेक कठनाएँ का सामना कर गुर्जर भूमि का संरक्षण किया इन वीरों की कीर्ति के लिये बहुत ग्रन्थ बने है पर जिन्हो के समकालिन जैनोत्तर कवि सोमेश्वरने पनि कीर्ति कौमुढ़ी नाम काव्य में वस्तुपाल तेजपाल का खुब ही विस्तार से वर्णन किया है । वस्तुपाल तेजपाल को कितने विरूद मिले है जैसे ( १ ) प्राग्वट ज्ञाति अलंकार ( २ ) सरस्वती कण्ठाभरण (३) सचीव चूडामणि ( ४ ) कुर्चाल सरस्वती (५) धर्मपुत्र ( ६ ) लघू भोजराजा (७) खंडेरा (८) दातार चक्रवृति (९) बुद्धि अभयकुमार ( १० ) रूचि कंदर्प ( ११ ) चातुर्य चाणक्य (१२) झाति वरहा ( १३ ) ज्ञाति गोपाल ( १४ ) सइयद वंस जयकाल (१५) सारपसारायमानमर्दन (१६) मजनैन (१७) गांभीर (१८) धीर ( १६ ) उदार ) (२०) निर्विकार (२१) उत्तम जन माननिय (२२) सर्व जन श्लाघनिय (२३) शान्त (२४) ऋषिपुत्र (२५)