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वस्तुपाल तेजपाल.
(८५)
, यह वीर जैन होने ३००४. अष्णु मत्त के मन्दिर बनाये |
बनाया पर भी अपनि म७०० तापसो के लिये प्राश्रम बनाये ध्यस्थता का परि६४ मुसलमानों के लिये मसजिदे।
चय दीया है मुस
लमानों के साथ स८४ पके घाट बद्ध सरोवर हिष्णुता करने के ४८४ साधारण घाट वाले तलाव |
मसे मसजिदे कर
वाई थी। ४६४ रस्ता पर वावडिये बनाई .
४००० मुसाफर लोगों के लिये भवन देशप्रति . ७०० पाणी के कुवें बनाये
सेवाभाव ७०० पाणी पीने के लिये पौवां
का प___३६ वडे वडे मजबुत किलें बनवाये ५०० ब्राह्मणों को हमेशों रसोइये
। दीया है . १००० तापस सन्यासीयों को भोजन देना ५००० सन्यासी व तापसो के भोजनशाला
२१ जैन प्राचार्यों को महोत्सवपूर्व पदार्पण २००० ताबावति नगरी में सोनझ्यों का सुकृत
इन के सिवाय हमेशों जैन मुनियों को यथा उचित आहार बनादि का दान देना व उन के विहार में सहायता करना स्वामिवात्सल्य प्रभावना उज्जमणा संघपूना संघ सहित तीर्थो कि यात्रा करना स्वाधम्मि भाइयों को सब प्रकार कि सहायता करना इत्यादि शुभ कार्य
रिचय