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जैन बाति महोदय प्र० चोथा.
कार्य किये जिन के विषय में अनेक लेखकोने ग्रन्थ के ग्रन्थ निर्माण किये पर यहां पर तो एक नमूना के तौर पर थोडासा उल्लेख कर दीवा जाता है यथा वस्तुपाल तेजपाल चारित्र से
१९०४ देव भुवन कि माफिक नये जिन मन्दिर बनाये २०३०० पुरांणे जिन मन्दिरो का जीर्णोद्धार करवाये १२५००० नये जिन बिम्ब बनाये जिसमे खरचा १८ क्रोड का ३ वडे वडे ज्ञानभण्डार स्थापन करवाये ७०० शील्पकला के नमूने रूप दान्त के सिंहासन ६८८ धर्म साधन करने को पौषधशालाए ५०५ समवसरण के योग्य बहु मूल्य चंदरवा १८९६००००० शत्रुंजय पर खरचा कर मन्दिरादि बनाये १८८०००००० गिरनार पर
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१२८०००००० भाबु के मन्दिरों में खरच हुवा
३००००० सोनइयों का एक तोरण शत्रुंजय पर चढाया गिरनार पर
३०००००.
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३००००० 99 २५०० घर देरासर कराये यह, भक्ति का परिचय है
" ,, आबु पर
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२५०० रथ यात्रा के लिये काष्ट के रथ बनाये
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दान्त १८००००००० पुस्तक भण्डारो के लिये खरचकर पुस्तक लिखाये ७०० ब्राह्मणों के रहने के लिये सुन्दर मकान बनाये ७०० आम जनता के लिये दानशालाए बनवाई