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________________ विमलशाह की बीरता. (60) "" जैसे विमल की वीरता थी वैसे ही उदारता और परोपकारता भी थी जिसने देशसेवा समाजसेवा धर्म्मसेवादि में बों खर्बो रूपये ara किये थे जिस के लिये पाटण के भाटोंने अपना वंस परम्परा तक " विमल श्रीं सुप्रभातम् अर्थात् प्रातःसमय विमलशाहा और उस कि भार्य श्रीदेवि का नाम अमर रखने का प्रस्ताव पास किया था पहिले जमाने में एसा रिवाज था कि जिसके लिये शुभ भावना प्रदर्शित करना हो वह उस के नाम के साथ ' सुप्रभातम्' जोड दीया करते थे जैसे— सुप्रभाति जिण सासणमहि । सुप्रभाति गुणधर गुण्ण राई | गच्छ चोरासी जे जे जति । सुप्रभात सगली महासती ॥ जे जे सकल सभा शृंगार । सुप्रभात सहु ही दातार । सुप्रभात जे धम्मराज | सुप्रभात सवि तीरथराज || सुप्रभात गायण गुण गाणे | सुप्रभात कविराज वखाणे | विमल नरेसर श्री घर नारी । सुप्रभात श्री संघ मकारी +++ और भी उपदेशमाल में इस प्रकार उल्लेख मिलते है । " अद्यापि विमलश्रीसुप्रभात मित्याशीर्वाद कथयति । कोर्यः । विमल मंत्री श्रीदेवी भार्या तयोर्यथा - सुप्रभातम भूतथा भवताममि भवतु इत्यादि ॥ पोरवाड ज्ञाति में जैसे बिमलशाहा कि कीर्ति है वैसे ही वस्तु. पाल तेजपाल कि भी शौर्यता वीरता उदारता परोपकारता रूप कीर्ति जगत विख्यात है जिन वीरोंने अनेक संग्रामों में फते पाई और अनेक सुकृत
SR No.002448
Book TitleJain Jati mahoday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherChandraprabh Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1995
Total Pages1026
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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