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________________ श्री जन जाति महोदय प्र० चोथा. बाउन मतंग माते नंदजु उचित कीने । जरसेती जरि दीने, अंकुस जरावके । दान के बिधानको बखान हु लो को लू करो। बीरानिमे हीरादेत हीरानंद जैहरी ॥ पाइये न जेते जवाहर जगमांझ दुढे । ' जे तो ढेर जोहरी जवाहरको लायो हे ॥ कसबी कोमांच मुखमल जरबाफ साफ । झरोखा लो ग्रहलग मगमें बिछायो हे॥ . जंपति जगन बिधि आनंन बरणी जात | जहांगीर आये नंद आनंद सवायो है ॥ करमी छिटकी काहुं कहुं उबरां उनकी । पेसकसी पेखते पसीनां तन आयो हे ॥ ६ ॥ कोरपाल सोनपाल लोढा. सगर भरथ जगि जगड जावड भये । पोमराइ सारंग सुजस नाम धरणी ॥ सेबूंजे संघ चलायो सुंधन सुखेत बायो । संघ पद पायो कबि कोटि किति बरणी ।। लाहनि कडाहि ठाम ठांम द्रुग भांन कहि । आनंद मंगल घरि घरि गावे घरणी॥ . वस्तुपाल तेजपालं जैसे रेखचंद नंद। ... कोरपाल सोनपाल कीनी भली करणी ॥ १
SR No.002448
Book TitleJain Jati mahoday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherChandraprabh Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1995
Total Pages1026
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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