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ओसवाल ज्ञाति के नररत्नोका परिचय.
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मुख अंधियारी मैलीया; गलि चोर बंबाले । दिढ गाढे बहु जीतणे; गढ कोटावाले || २० सुठ नछित्र सुछत्र, सीसकर चउर ढलं दे । साहिजादे संग उबरे; सब पायपुलंदे || मुखमल र जलबार दी पायंदाज बिछाया । जहांगीर से पातिसाहनुं ले धरि आया ।। २७ धरीया हीरा पेस सुण्या दिठा नहुनेरा । हुकया भाषां लाखते; कीमति श्रधिकेरा ॥ येक जीह केसे कहूं; गणती जो आया । अबर जवाहर कया सहुं; जो नर्जारे दिखाया ॥ ३० ॥ कही देखिये ढेरिया, सोने दी भारी ।
कही देखिये ढेरिया रूपे अधिकारी ॥
कही देखीये ढेरीयां; कोमांच लगाये । पेसकसी जहांगीरनुं, हीरानंद न्याये ॥ ३१ ॥ संबत् सोलहै सतसठे; साका अतिकीया ।
मिहमानी पतिसाहदी करिके जस लीया ॥ × × × चुंनि चुंनि चोखी चुनी; परम पुरांणे पंना । कुंदन देने कर लाये घन तावकेनंना || लाल लाल लाल लागी; कुतुव बस कुसांन | बिबधि बरण बने; बहुत बनांउके जान || रुपके अनूप आहे; अबलाके आभारन | देखे न सुने न कोइ असे राजा राउके ॥