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________________ ओसवाल ज्ञाति के नररत्नोंका परिचय. नेतसी छाजहड. पवन जदि न परवरे, बाव बागो उत्तरधर | धर मुरधर मांनवी, भइ भेमंत तासभर || मात पुत परहरे बिमोह मृगनेनी छारे । उदर काजि आपने, देस परदेस संभारे ॥ वित्त खीन दीन व्यापी खुधा, नर नीसत सत इंडीया । तिण द्योस साह जगमाल के, नेतसीह नर थंभीया || अन्नदाता धर्मस दीपक दीदा दिसे, प्रथी पदरा परमांणे | *डलूंनेर कडाहि सिपति साची सुरतां || इकतीसे सोझति, इलासमै श्रधारी, घर गुजर धरमसी, जुगति दे अंन जिवाडी ॥ खांटहड बिरद खाटे खरां, अचल गंग सुभ उचरे । बधमान तणिवंसि बाचिये, सु तायागी सुरतांणरे ॥ लाखोकों जीवानेवाला संघवी नरहरदास. साहिनको साहि पातिसाहि जहा गाजी राजी । हैं के रावरेकुं सिरपाव xx दीये हे ॥ जेतेक जिहांन मैं खवानी खांन सुलतान । करत वखांन सनमांन बहु दीये हे । कोटि जुग राज कीजे, नरहरदास भुवः ॥ स्वामीदास नंदके सरांहो हाथ हिये हे । ( ६९ )
SR No.002448
Book TitleJain Jati mahoday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherChandraprabh Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1995
Total Pages1026
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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