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प्रोसवाल ज्ञाति की मौत्र संख्या. . (५९) मानन, कोचर, दाखा, भीमावत्, पालशिया, सिखरिया, वांका, वडबडा बादलीया, कानुंगा, ऐवं २१ साखामों. डिहूगोत्रसे निकली वह सब भाई है।
(१७) मूलगौत्र कमोजिया--कनोजिया, वडभटा, राकावाल, तोलीया, धाधलिया, घेवरीया, गुंगलेचा, करवा, गढवाणि, करेलीया, राडा, मीठा, भोपावत् , जालोरा, जमघोटा, पटवा, मुशलीया एवं १७ साखानो कनोजिया गोत्रसे निकली यह सब भाई है।
(१८) मूलगोत्र लघुश्रेष्टि--लघुश्रेष्टि, वर्धमान, भोभलीया, लुणेचा, बोहरा, पटवा, सिंधी, चिंतोडा, खजानची, पुनोत्-गोधरा, हाडा, कुबडिया, लुणा, नालेरीया, गोरेचा, एवं १६ साखानो लघुश्रेष्टिगोत्रसे निकली वह सब भाई है। . २२-१२-१४-२६-१७-१८-१७-२२-३०-४४ - १५-२०-२९-१९-१६-२१-१७-१६ कुल संख्या ४९८ मूल अठारा गोत्रकी ४९८ साखाश्रो हुई इसपर पाठकवर्ग विचार कर सक्ते है कि एक समय प्रोसवालोंका कैसा उदय था और कैसे बड़वृशकी माफीक वंसवृद्धि हुई थी।
. इन के सिवाय उपकेशगच्छाचार्य व अन्य गच्छ के प्राचार्योंने राजपुत्तादि को प्रतिबोध दे जैन जातियो में मिलाते गये अर्थात् विक्रम पूर्व ४०० वर्ष से लेके विक्रम कि सोलहवी शताब्दी तक जैनाचार्यों पोसवाल बनाते ही गये भोसवालो कि ज्ञातियों