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________________ ओसवाल पति की मौवस्या . . (..) मङ्वा, घरघटा, उदेचा, मधुवोधी, चौसरीवा, बापात्, संपनी, मुरगीपाल, कीलोमा, मालोत्, सरभंडारी, भोजावत् , काटी जाटा, तेनाणी, सहनाणि सेणा मन्दिरवाला, मालतीया, भोपावत्, गु. खीया, एवं ४४ साखाओ संचेति गोत्रसे निकली वह सब भाई है। (११) मूल गौत्र प्रादित्यनाग-प्रदित्यनाग, चोरडिया, सोढाणि, संघवी, उडक मसाणिया, मिणियार, कोटारी, पारख, 'पारखों' से भावसरा, संघवी, ढेलडिया, जसाणि, मोल्हाणि, सडक, तेजाणि, रूपावत्, चोधरि, 'गुलेच्छा'-गुलेच्छोंसे दोलताशी, सागाणि, संघवी, नापडा, काजाणि, हुला, सेहजावत् , नागडा, चित्तोडा, चोधरी, दातारा, मीनागरा, 'सावसुखा' सावसुखोंसे मीनारा, लोला, बीजाणि, केसरिया, बला, कोटारी, नांदेचा, 'भटनेराचोधरी'–भटनेराचोधरियोंसे कुंपावत्, भंडारी, जीमणिया, चंदावत् , सांभरीया, कानुंगा, 'मदईया' गदइयोंसे गेहलोत , लुगावत्, रणशोभा, बालोत् , संघवी, नोपत्ता, 'बुचा ' बुचोंसे सोनारा, मंडलीया, करमोत्, वालीया, रत्नपुरा, फिर चोरडियोंसे नाबरिया, सराफ, कामाणि, दुद्धोणि, सीपांणि, प्रासाणि, सहलोत् , लघु सोढाणी, देवाणि, रामपुरिया, मधुपारख, नागोरी, पाटणीया, छात्, ममइया, बोहरा, खजानची, सोनी, हाडेरा, दफतरी, चोधरी, सोलाचत् , राब, नौहरी, गलाणि इत्यादि एवं ८५ साखाओं प्रावित्यनाग गोत्रसे निकली वह सब भाई है। मूलमौत्र भूरि-भूरि, भटेक्रा, उडक, सिंधि, चोधरी,
SR No.002448
Book TitleJain Jati mahoday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherChandraprabh Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1995
Total Pages1026
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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