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ओमसल हाति के सा बोत्र. . (५) गौत्र होनेमें समका एक मत्त है । १८ गोनों कि स्थाना एकरी समय में हुई हो या कारण पाके अलग अलग समयमें हुई हो पर इतना तो निश्चय है कि प्राचार्य रत्नप्रभसूरिने उपकेसपुरमें उपकेश ( महाजनवंस ) वंसकी स्थापना कर वीरात् ७० वर्षे महावीर मूर्ति की प्रतिष्टा की जिसके बाद ३०३ वर्षे मूल प्रतिष्टाका भंग होनेसे नगरमें बहुत अशान्ति फैली जिसकी शान्ति प्राचार्य श्री कसरिने कराइ उस समय १८ गोत्र के श्रावको को स्नात्रीये बनाये गये थे. तथाच-उपकेश चारित्रे
(१) तातहडगोत्रं (२) बापणागोत्रं ( ३) कर्णाटगोत्रं ( ४ ) बलहागोत्रं (५) मोरक्षगोत्रं (६) कुलहटगोत्र (७). वीरहटगोत्रं (८) श्रीश्रीमालगोत्रं ( ६ ) श्रेष्टिगोत्रं एते दक्षिणबाहु । . (१) सुचंतिगोत्रं ( २ ) आदित्यनागगोत्रं ( ३) भूरि गोत्रं ( ४ ) भाद्रगोत्रं ( ५) चिंचटगोत्रं ( ६ ) कुभटगोत्रं(७) कनोजियेगोत्रं (८) डिडूगोत्रं ( ९ ) लघुत्रेष्टिगोत्रं एते वामबाहु ।
इस प्राचीन लेखसे निःशंक सिद्ध होता है कि वीरात् ३७३ अर्थात् विक्रमपूर्व .९७ वर्ष पहले तो महाजनवंस ( उपकेशवंस ) में अलग अलग गोत्रोंकि संख्या हो चुकी थी और इन गोत्रवालोने अपनि अच्छी उन्नति भी करली थी पर प्रस्तुत. समयसे कितने काल पूर्व इन गोत्रोंका बन्धण हो चुकाथा इसका निर्णय के लिये पट्टावलियो व वंसावलियों के सिवाय इस समय हमारे पास कोई साधन नहीं है