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________________ मोसपास झालिका परिचय. (१९) रोतरिवाज माय स्से है कि निस धनाज्य और साधारण एवं सा का निर्वाह पछी तरह से होता है । इस शाति में धर्म विवाह बडी इज्जत के साथ होते है कन्या का पैसा लेना तो दूर रहा पर कन्या के वर के वहां का पाणि पीना भी महान् पाप समझते है इसी कारण से इस ज्ञाति की वडी भारी इज्जत मानी जाती है और विस्तार से फलीफूली है। (१८) मोसवालों की ओरतें-पोसवालों के घरों मे मोरतों की बडी भारी इज्जत मान मर्यादा काण कायदा वडे ही भदव के साथ है बाहार जाने के समय दो चार सेवगणीयों नायणियों साथ रहती है पाणि भरना, अनाज पीसना, गोबर उठाना वगरह हलके कार्य वह. नहीं करती है वैसे कार्य उन्हो के घरोंमे प्रायः मजुर ही किया करते है प्रोसवालों की अोरतें प्रायः लिखी पढी होती है हुन्नर उद्योग में वह हुसीयार होती है सलमासतारा व जरीके कसीदे वगरह वह आवश्यक्ता माफीक गृहकार्य में दूसरों की अपेक्षा विगर सब कार्य वह स्वयं कर लेती है जैसे वह गहकार्य में चतुर होती है वैसे धर्मकार्य में भी वह बडी दक्ष हुवा करती है। (१६) मोसवालों की पोशाक-प्रोसवालों की पोशाक प्रायः मारवाडी है। वे श्रेष्ठ कपडो के साथ जेवर पहिनना अधिक पसंद करते है मुसाफरी के समय तलवारादि शस्त्र भी रखा करते है भोसवालो के घरो में ओरतों कि पोशाक जितनी सुन्दर व शोभनीय होती है उतनी ही अदबमय है चाहे मोसवाल लोग विदेशमें भी चले जावे
SR No.002448
Book TitleJain Jati mahoday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherChandraprabh Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1995
Total Pages1026
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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