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ओसवाल ज्ञाति का पस्विय . (४७) पदाधिकारके जरिये ओसवालोंने दुनिया का बहुत भला किया देश को और राज को अच्छी तरकी दी थी।
(१३) मोसवालों का मानमर्यादा-रीतरिवाज इज्जत वगरह अन्योन्य ज्ञातियों से खूब चढबढ के है कारण प्रोसवालो की शौर्यता, वीर्यता,धैर्यता, गांभिर्यता नीति कुशलता, रणकुशलता, सन्धीकुशलता, शाम, दाम, दंड, भेद प्रतिज्ञापालन, देशसेवा, राजसेवा, ममाजसेवा, धर्मसेवा और चातुर्यादि अनेक सद्गुणों से प्राकर्षित हो राजा और प्रजा श्रोसवाल लोगों को इज्जत प्रादर सत्कार-मानमहत्व देना वह अपना खास कर्त्तव्य समझते है । ... (१४) भोसवालों का पेशा (धंधा )-जिन राजामहा. राजावों को मिथ्याचरणा छोडा के ओसवाल बनाये गये थे वह चिरकाल ( कई पीढियों ) तक राज ही करते रहे और कितनेक लोगोंने राजकर्मचारी बन राजतंत्र चलाये और कितनेक लोग व्यापार करने लगे उनके लिये यह कहना भी अतिशय युक्ति न होगा कि व्यापार में जितनी हिम्मत ओसवालों की है इतनी शायद ही अन्य ज्ञाति की होगी। व्यापार करने का तात्पर्य केवल पैसा पैदा करने का ही नहीं था किन्तु व्यापार देशोन्नति का एक अंग समझाजाता है जिस देश में व्यापार की उन्नति है वह देश सदैव के लिये सुखी और समृद्धशाली रहता है इसी लिये देशसेवा में प्रोसवाल अप्रेसर माने जाते है । ___(१५) मोसवालों का जैसे व्यापार का पेसा है वैसे बोहरंगतें करना भी उन का धंधा है । वे राजा महाराजा ठाकुरो जमीनदारो