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________________ (४४) श्री जैन जाति महोदय प्र० चोथा. (६) ओसवालोंकी पंचायतियें-ओसवालों के न्याति जाति पंचायतियोंका संगठन इतना उत्तम रीतिसे रचा गया है कि ग्राममें झघडा-घडा टंटा-फिसाद व लेनदेन संवन्धी किसी प्रकारसे वैमनस्य होजाय तो उनको अदालतों का मुंह देखने की आवश्यक्ता भी नहीं रहती है कारण ओसवाल पंच उन वादी प्रतिवादियों को इस उत्तम रीतिसे घरके घरमें समझादेते हैं कि फिर अपील तकका प्रवकाश ही नहीं रहता है इतना ही नहीं पर प्रोसवाल पंच ग्राम संबन्धी अनेक कार्य करनेमें अपना समय व द्रव्य खरचकर स्वयं कर लेते है पर प्रामवालों को गरम हवा तक भी नहीं पहुंचने देते हैं इसलिये ही पंच परमेश्वर और मांबाप कहलाते है । (८) भोसवालों के पर्व दिन-कार्तिक वद ०)) महावीर निर्वाण. कार्तिक शुक्ल १ गौतम केवल महोत्सव, शुक्ल ५ ज्ञान पञ्चमी पूजा, शुद ८ से १५ तक कार्तिक अठाइ महोत्सव, मार्गशिर्ष शुद ११ मौन एकादशी, पोष वद १० पार्श्वनाथ जन्मकल्याणक, माघ वद १३ मेरुत्रयोदशी, फागण शुद ८ से १५ तक फाल्गुन अठाइ महोत्सव, चैत शुद ७ से पूर्णिमा तक आयंबिल तपश्चर्या के साथ अठाई महोत्सव. वैशाख में अक्षय तृतीया, ज्येष्ट मास में निर्जरा एकादशी, प्राषाढ मास शुद्र ८ से पुनम तक अठाई महोत्सव, श्रावण शु. ५ नेमिनाथ भगवान् का जन्म, भाद्रपद में पर्वाधिरान पर्युषण पर्व ८ दिन महोत्सव, आश्विन मास में आयंबिल कि तपश्चर्य के साथ अठाई महोत्सव । इनके सिवाय जिन कल्याणक तिथी प्रतिष्टा दिन प्रादि जैनोंमें पर्व माना गया है इस पवित्र दिनोमें धर्म कृत्य
SR No.002448
Book TitleJain Jati mahoday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherChandraprabh Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1995
Total Pages1026
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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