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ओसवाल ज्ञाति के समय निर्णय.
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वर्ष तक ज्ञानाभ्यास करवाके उनके भी शिष्यसमुदाय विशाल संख्या में हो जानेपर उन चारों प्रभावशाली मुनियोंको वासक्षेप पूर्व पदार्पण कर बहांसे विहार करवाये बाद उन चारों महापुरुषों के नामसे अलग अलग चार शाखाओं हुई यथा
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(१) नागेन्द्र मुनि से नागेन्द्र साखा जिसमें उदयप्रभ चोर मल्लिसेनसूर आदि आचार्य महा प्रभाविक हो शासन की उन्नति की
(२) चन्द्रमुनि से चंद्र साखा - जिसमें वडगच्छ तपागच्छ स्वरतरादि अनेक साखाओं में वडे वडे दिगविजय आचार्य हुऐ .
. (३) निवृति मुनिसे निवृति साखा - जिस्मे शेलांगाचार्य दूणाचार्यादि महापुरुष हूवे जिन्होनें जैन साहित्य की उन्नति की.
(४) विद्याधर मुनि से विद्याधर साखा - जिसमें हरिभद्रसूरि जैसे १४४४ ग्रन्थ के रचयिताचार्य हूवे - यह कथन उपकेश गच्छ प्राचीन पट्टावाल में है और आचार्य श्री विजयानंदसूरिजीने अपने जैन धर्म प्रश्नोत्तर नामक ग्रन्थमें भी लिखा हैं इस से यह सिद्ध होता है कि उस समय उपकेश गच्छ अच्छी उन्नति यर था तो उपकेश ज्ञाति इनके पहिल होना स्वभावीक बात है.
(१६) भाट भोजक सेबक और कुलगुरु ओसवालों की उत्पत्ति वि. स. २२२ में बताते है मगर यह बात देशलशाहा के प्रभाविक पुत्र जगाशाहा के साथ संबन्ध रखनेबालि हो तों इस