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औसवाल हात समय निर्णय. (५) (८) खरतर यति श्रीपालजीने जैन संप्रदाय शिक्षा नामक प्रन्थ में मोसवालों का इतिहास लिखते समय लिखा है किवीरात् ७० वर्षे प्राचार्य रत्नप्रभसूरिने उकेश नगरी में प्रोसबाल बंस के १८ गोत्रों कि स्थापना की।
(९) खरतराचार्य चिदानंद स्वामिने स्याद्वादानुभव रत्नाकर नामक.मन्थ में लिखा है कि वीरात् ७० वर्षे प्राचार्य रत्नप्रभसूरिने प्रोसवाल बनाये ।
(१०) जैन मतपताका नामक प्रन्थ में वि. न्या. शान्तिविजयजीने जैन इतिहास लिखते हुवे लिखा है कि वीरात् ७० वर्षे प्राचार्य रत्नप्रभसूरिने उकेस वंस की स्थापना की.
(११) खरतर यति रामलालजीने महाजन वंस मुक्तावलि में लिखा है कि वीरान् ७० वर्षे प्राचार्य रत्नप्रभसूरिने प्रोसवान बनाये. ___(१२) जैन इतिहास (भावनगर से प्र०) में लिखा है कि वीरात् ७० वर्षे आचार्य रत्नप्रभसूरिने ओसवाल ज्ञाति की स्थापना की ।
(१३) श्रीमाली वाणिया ज्ञाति भेद नामक किताब में प्रो. मणिलाल बकोरभाइने लिखा है कि विक्रम पूर्व ४०० वर्ष उपस -उकेश वंस कि स्थापना आचार्य रत्नप्रभसूरिद्वारा हुइ है इस पंडितजीने तो बहुत प्रमाणोंसे यह सिद्ध कर दिया है कि उकेशपुर कि स्थापना ही श्रीमाल नगर में हुई है।