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ओसवाल ज्ञाति समय निर्णय:
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(२) दूसरा मत जैनाचार्यों और जैनमन्धकारोंका है उसमें ओसवाल ज्ञातिकी उत्पत्तिका समय विक्रम पूर्व ४०० वर्षका लिखा मिलता है अतः कतिपय उल्लेख यहां दर्ज कर देते हैं.
(१) श्री उपकेशगच्छ चरित्र जो विक्रमकी चौदहवी शतादीमें संस्कृत पद्यबद्ध लिखा हुआ है जिसमें उकेशवंस ( जिसकों हाल ओसवाल कहते है ) की उत्पत्ति वीरान् ७० वर्ष अर्थात् विक्रम पूर्व ४०० वर्षका लिखा है ।
(२) उपकेशगच्छ प्राचीनं पट्टावलि जो विक्रम सं. १४०२ में लिखी हुई है उसमें एसे प्रमाण मिलते हैं कि
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. सप्तत्य (७०) वत्सराणों चरमजिनपतेर्मुक्तजातस्य वर्षे | पंचम्या शुक्लपक्षे सुहगुरु दिवसे ब्रह्मणः सन्मुहूर्ते । रत्नाचार्यैः सकलगुणयुक्तै, सर्वसंघानुज्ञातैः ॥ श्रीमद्वीरस्य बिंबे भवशतमथने निर्मितेयं प्रतिष्ठाः || १ ||
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उपकेशे च कोरंटे, तुल्यं श्रीवीरबिम्बयोः । प्रतिष्ठा निर्मित्ता शक्त्या, श्रीरत्नप्रभसूरिभिः ॥१॥
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इस पट्टावालका अनुकरण रुपमें औरभी छोटी छोटी पट्टावलियें लिखी हुई मिलती है ।
इस प्रमाणसे सिद्ध होता है कि वीरात् ७० वर्षे श्राचार्य रत्नप्रभसूरिने उपकेशपुरमे महावीर मन्दिरकी प्रतिष्ठा कराई थी