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उएसपट्टन की स्थापना.
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इधर युवराज श्रीपूंज के और राजकुमार उपलदेव के आपस में किसी साधारण कार्य के लिये बोलना पड गया इस पर श्रीपूंजने कहा भाई एसा हुकम तो तुम अपने भुजबल से राज जमावो तब ही चलेगा ? इस ताना के मारा उपलदेवने प्रतिज्ञा कर ली की जब हम भुजबल से राज स्थापन करेंगे तब ही आप को मुह बतलावेंगे बस ! इसके सहायक ऊहड मंत्री व्यग्रचित में बेठा ही था दोनों आपस में वार्तालाप कर प्रतिज्ञापूर्वक भिन्नमालनगर से निकल गये और चलते चलते राहस्ता में एक सरदार मीला उसने पुच्छा कि कुमरसाहिब आज किस तरफ चडाई हुई है ? उपलदेवने उत्तर दिया कि हम एक नया राज स्थापन करने को जा रहे है फिर पुच्छा यह साथ में कौन है ? यह हमारा मंत्रि है उस सरदारने कहा कुमर साहिब राज स्थापन करना कोइ बालकोंका खेल नहीं है आपके पास एसी कौनसी सामग्री है कि जिसके बल से आप राज स्थापन कर सकोंगे ? कुमरने कहां की हमारी भुजामें सब सामग्री भरी हुई है जिसके जरिये हम नया राज स्थापन कर सकेंगे ? इस वीरताके वचन सुन सरदारने आमन्त्रण कीया कि दिन बहुत तंग हे वास्ते रात्रि हमारे वहां विश्राम लीजिये कल पधार जाना, बहुत आग्रह होनेसे कुमरने स्वीकार कर उस सरदार के साथ चल दीया वह सरदार था वैराट नगरका राजा संग्रामसिंह कुमरको बडे सत्कार के साथ अपने नगरमें लाया बहुत स्वागत कीया उसका शौर्य धैर्य गांभिर्य आदि अनेक सद्गुणों से मुग्ध हो राजा संग्रामसिंहनें अपनि पुत्री की सगाइ उस उपलदेव के साथ कर दी रात्रि तो वहां ही रहे दूसरे दिन प्रातः समय
कुमर