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उसपुर की स्थापना.
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लोंकों नगर में वसा रहे थे यह खबर भीनमालमें हुई वहांसे भी उपलदेव और उहडके कुटम्ब व नागरिक बहुत से लोग उएसपट्टन में मिलें
“ ततो भीन्नमालात् अष्टादश सहस्र कुटम्ब श्रागत; द्वादश योजन नगरी जाता इस के सिवाय कइ प्राचीन कवित भी
"
ते है ।
" गाडी सहस गुण तीस, भला रथ सहस इग्यार अठारा सहस असवार, पाला पायक नहीं पार ओठी सहस अठार, तीस हस्ती मद भरंता दश सहस दुकान, कोड व्यापार करंता पंच सहस विप्र भीनमाल से मणिधर साथे माडिया. शाह उडने उपलदे सहित, घर बार साथे छांडिया । १ । "
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अगर उपलदेव और ऊहड के कुटुम्ब अठारा हजार और शेष बादमें आये हो ? पर यह तो निश्चय है कि भिन्नमाल तुटके उएशपट्टनं बसी है । मूळ पट्टावलिमें नगरका विस्तार बारह योजनका है साथ में मंडोवर नगरी भी उस समय में मोजुद थी उएशका नाम संस्कृत ग्रन्थकारोंने' उपकेशपट्टन लिखा है उएशका अपभ्रंश " श्रोशीयों " हुवा है वंशावलियों से ज्ञात होता है कि वर्तमान ओशीयों
से
१२ मिल तिवरी ग्राम है वह तेलीपुरा था ६ मिल खेतार क्षत्रिपुरा २४ मिल लोहावट शीयोंकी लोहामंडी थी प्रोशीयोंसे २० मिल पर घटियाला ग्राम है वहां पर ओशीयां का दरवाजा था जिसके
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