SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 40
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ७ ) ऐतिहासिक खोज से आधुनिक ७ साधन थोड़े बहुत प्रमाण में विद्यमान हैं जिन के आधार पर जो इतिहास लिखा जाता है वही संसार में सर्व मान्य होता है। उपरोक्त साधनों का हवाला जिस ऐतिहासिक ग्रंथ में होता है उस में संदेह को स्थान नहीं मिलता है तथा वह ग्रंथ सत्य माना जाता है । प्रस्तावना. भारत वर्ष के इतिहास के लिखने में विक्रम संवत् से आठ सौ नौ सौ वर्ष पूर्व से आज तक का वर्णन तो उपरोक्त सातों साधनों के आधार पर लिखा गया है तथा इस से पहले का इतिहास अतीत के शर्षिक से केवल ग्रंथों के आधार पर ही लिखा गया है । उपर्युक्त सातों साधनों के अभाव में विवश होकर पुराने ग्रंथों का ही सहारा लेना पड़ता है । जैन धर्म का सर्वमान्य इतिहास भारत की तरह विक्रम पूर्व की आठवीं नौवी सदी से प्रारम्भ होता है जिस समय कि एक महापुरुष भगवान पार्श्वनाथ स्वामी जगत् के कल्याण करनेवाले उत्पन्न हुए थे । कितनेक विद्वानों की खोज और अनुसंधान से कुछ समय इस से पहले भगवान् नेमीनाथ स्वामीके समय का इतिहास भी उपलब्ध हुआ है जो श्री कृष्णचन्द्र और अर्जुन आदि के समकालीन हुए हैं। इन की गणना भी आधुनिक ऐतिहासिक पुरुषों में हो चुकी है। इन से पहले की ऐतिहासिक सामग्री जो उपलब्ध है वह पुराने जैन ग्रंथों के आधार पर ही लिखी हुई है । उन प्राचीन शास्त्रों के लिखने के समय तथा उन में वर्णन की हुई घटनाओं के समय में बहुत
SR No.002448
Book TitleJain Jati mahoday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherChandraprabh Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1995
Total Pages1026
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy