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जनजाति महोदय
अब वह दिन नहीं रहे कि कोई दैवी घटनाओं पर अंध
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का सिद्धान्त अब नहीं
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बात कसौटी पर कस
विश्वास करले । " बाबा वाक्यं प्रमाणं चलनेका । इस विज्ञान के युग में प्रत्येक कर दिखानी होगी । प्रकृति के नियमों से प्रतिकूल या मानवी शक्ति से करणीय बातों का जब तक दार्शनिक प्रमाण उपस्थित नहीं किया जायगा हमारी बातों को कोई स्वीकार करने को तैयार नहीं होगा । अतएव यह आवश्यक है कि जैन जाति और जैन धर्म की जो बातें हमारे कथानकों आदि में प्रचलित हैं उन्हें निम्न लिखित सात प्रकार से प्रमाणित कर के दिखाया जाय। ऐसी दशा में जब कि सब हमारी बातें सत्य और सही हैं हमें किसी मार्ग से सिद्ध करने में बाधा उपस्थित नहीं करेगी । सच्ची और खरी बात जितनी कसौटी पर परखी जायगी उतनी ही अच्छी । केवल हमारे शास्त्र में लिखी बातों को हमारें सिवाय कोई मानने को तैयार नहीं हैं। श्रतएव जरूरी है कि हम निम्न लिखित आधारों द्वारा हमारी प्रत्येक बात को सिद्ध करदें फिर संदेह करने का स्थान ही न रह सकेगा( १ ) उस समय के प्रामाणिक शिलालेख ।
( २ )
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( ४ )
( ५ )
( ६ )
(७)
( ६ )
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ग्रन्थ ।
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,, पुरातत्व सम्बन्धी ध्वंस खंडहर आादि ।
मूर्त्तियाँ तथा अन्य पदार्थ ।
आसपास के बने ग्रंथ ।
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ताम्रपत्र ।
सोने और चांदी के सिके ।