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________________ ( ५ ) का सत्य और सम्पूर्ण इतिहास नहीं रखा गया इसी कारण से आज तरह तरह के आक्षेप चारों ओर से सुनाई देते हैं । जैन धर्म का वास्त विक सिद्धान्त क्या हैं. यह लोगों को मालूम नहीं । श्रतएव नितान्त आवश्यक है कि जैनियों का इतिहास संसार के समक्ष उपस्थित किया जाय और शीघ्र उपस्थित किया जाय । जब तक जैनियों का इतिहास संसार के सामने न आयगा, जैन धर्म के प्रति फैले हुए भ्रमपूर्ण विचार दूर नहीं होंगे तथा जैन धर्म का महत्व कोई न मानेगा | अगर हम चाहते हैं कि इस पवित्र और पुनीत जैन धर्म के झंडे के नीचे आकर प्रत्येक प्राणी सुख और शांति प्राप्त करे तो हमारे लिये यह आवश्यक होगा कि हम जी जान से इस कार्य में तल्लीन हो जांय कि संसार के सामने हमारे इतिहास को शीघ्रातिशीघ्र उपस्थित कर जैन धर्म के महत्व को प्रकट करें। प्रस्तावना. यदि जैन धर्म या जैन जाति के इतिहास का संग्रह करने में हमने उपेक्षा की तो हमारे सदृश और कोई कृतघ्नी नहीं होगा जो इस सोध और अनुसंधान के वैज्ञानिक युग में भी खुर्राटे लेकर कुम्भकर्ण बनें। आज जैनियों की सब से पहली आवश्यक्ता यह है कि वे अपना इतिहास असली रूप में संसार के सामने उपस्थित करें । यदि वे चाहते हैं कि हमारा भी अस्तित्व संसार में कायम रहे तो उनके लिये आवश्यक ही नहीं अनिवार्य है कि अपने इतिहास की सामग्री के जुटाने के लिये वे कार्य क्षेत्र में कमर कस कर काम करने को तैयार हो कर लग्गा लगा दें ।
SR No.002448
Book TitleJain Jati mahoday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherChandraprabh Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1995
Total Pages1026
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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