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पद्मावतीनगरीमें यज्ञ.
(२९) यज्ञ करना प्रारंभ किया है वहाँभी हजारों लाखों प्राणियों कों बलीदान निमित एकत्र किये है कल पूर्णिमा का ही यज्ञ है अगर
आपश्रीमानों का किसी प्रकारसे वहाँ पधारना हो जा तों जैसा यहां पर लाभ हुवा है वैसा ही यहाँपर उपकार होगा लाखों जीवों को प्राणदान और जैनधर्म की उन्नति होगा? हमको दृढ विश्वास है कि आपश्री वहाँ पधारे तो इस कार्यमें जरूर सफलता मिलेगा इत्यादि।
सूरिजी महाराजने उन श्राद्धवर्ग की अर्ज को सहर्ष स्वीकार करके कह दिया कि हम कल शुभही पद्मावती पहुँच जावेगें. इस वात को श्रवण कर संघने सोचा कि महात्माओं के लिये कौनसा कार्य अशक्य है फिर भी “ परोपकाराय संत विभूषिय " पर अपनेको भी सूरिजी महाराज की सेवामें शुभे जरूर पहुँचना चाहिये सबकी सम्मति होते ही शीघ्र गामनी सवोरियाद्वारा उसी समय खाना हो शुभे पद्मावती पहुँच गये और पद्मावती नगरी में स्थान स्थानपर यह वात होने लगी की श्रीमालनगरमें एक जैन भिक्षुकने राज्य प्रजा को यज्ञ धर्मसे हटाके जैन बनादिये, वह भिक्षुक यहाँ भी आनेवाला है यह बात सुन यज्ञाध्यक्षकों के अन्दर बडी भारी खलबलाट मच गया और वह अपना पक्षकों मजबुत बनानेकी कोशीषमे लगे।
इधर आचार्यश्री सूर्योदय होतेही अपनि मुनिक्रियासे निवृति पातेही विद्याबलसे एक मुहूर्तमात्रमें पद्मावती पहुँच गये. श्रीमाल नगर के श्राद्धवर्ग पहलेसे ही रहा देखरहेथे. प्राचार्यश्रीके पधारते ही वह श्राद्धवर्ग वडेही स्वागतके साथ आपश्री को राजसभामें