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________________ २) जैन जातिमहोदय. "A people which takes no pride in the noble bievements of remote ancesters will never achieve anything worthy to be remembered with pride by remote blescendents. " अर्थात् जो जाति अपने पूर्वजों के श्रेष्ठ कार्यों का अभिमान और स्मरण नहीं करती वह ऐसी कोई बात ग्रहण न करेगी जो कि बहुत पीढी पीछे उन की संतान से सगर्व स्मरण करने योग्य हो। ___उपर्युक्त बात को सिद्ध करने के हेतु मैं बहुत लम्बे चौड़े विवेचन करने की कोई आवश्यक्ता नहीं समझता हूँ कारण कि प्रत्येक शिक्षित व्यक्ति से यह बात छिपी हुई नहीं है कि इतिहास ही साहित्य का उच्च और आवश्यक अङ्ग है । यदि अवनति के राह में जाती हुई जातिएँ या राष्ट्र पुनः उत्थान की ओर अग्रसर होना चाहें तो सिवाय इतिहास के आदर्श को समझने के और कोई साधन है ही नहीं । अतएव उन्नति या अभ्युदय के हेतु अपने इतिहास को जानना प्रत्येक श या समाज के लिये अनिवार्य है । केवल इतिहास ही ऐसा उपकरण या साधन है जिससे हमें विदित होता है कि किन किन कामों के करने से एक जाति या राष्ट्र का अभ्युदय वा पतन होता है। जब तक अभ्युदय और पतन होने के कारणों का ज्ञान न हो तब तक यह असम्भव है कि कोई अभ्युदय के मार्ग का पथिक बने या पतन के पथ से बच जाय । इतिहास ही एक सचा शिक्षक है जो उचित पय प्रदर्शन
SR No.002448
Book TitleJain Jati mahoday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherChandraprabh Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1995
Total Pages1026
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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