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प्रस्तावना
तिहास के बिना कोई जाति, समाज या राष्ट्र जीवित नहीं रह सकता । यह बात अक्षरशः सत्य एवं तथ्य है । यदि किसी सभ्य समाज की उन्नति का कारण मालूम करना हो तो बिना उस के इतिहम को देखे कोई नहीं जान सकता । जिस जाति का इतिहास प्रकट होगा वह जाति अधिक दिन तक संसार में नहीं टिक सती । अतएव इतिहास का प्रकाशित होना नितान्त आवश्यक है ।
इतिहास के अध्ययन ही से हम जाति, समाज और राष्ट्र के उत्थान और पतन के कारणों को जान कर उस की रक्षा में तत्पर रह सकते हैं । इस से सिद्ध होता है कि साहित्य में इतिहास का स्थान बहुत उच्च है । यही साहित्य का मुख्य अङ्ग है, इस के बिना तो साहित्य अधूरा और अपूर्ण है। बिना इतिहास के अध्ययन के हम यह कदापि नहीं जान सकते कि किन किन कारणों से जातियाँ एवं देशों का अभ्युदय और अधःपतन होता है।
. इस सम्बन्ध में सुप्रसिद्ध इतिहासज्ञ मैकाले का कथन ध्यान पूर्वक मनन करने योग्य है । ये लिखते हैं:
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