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भगवान् महावीर. कल्याण महोत्सव किया भावानुद्योत चला जाने पर लोगोंने दीपक वगैरह से द्रव्योद्योत किया उसी का अनुकरणरूप आज दीपमालीका का महोत्सव मनाया जाता है।
जिस रात्रि में भगवान महावीर का निर्वाण हुवा था. उसी रात्रि के प्रातः समय गणधर इन्द्रभूति ( गौतम ) को कैवल्य ज्ञानोत्पन्न हुवा, जो भगवान के निर्वाण से श्रीसंघ में शोक के वदल छा गये थे. मानों उस का निवारणार्थ ही मय देव देवि के इन्द्रोंने कैवल्य महोत्सव किया । तत्पश्चात् भगवान् महाप्रभु के पट्टपर एक शासन नायक सामर्थ्य आचार्य कि आवश्यक्ता हुई भगवान महावीर के इग्यार गणधरों से नौ गणधर तों भगवान की मौजुदगी में ही मोक्ष पधार गये. भगवान् गौतमस्वामी को कैवल्यज्ञान हो आया शेष रहे सौधर्म गणधर को सकल संघ की सम्मति पूर्वक भगवान महावीर प्रभु के पट्टपर प्राचार्य नियुक्त कर चतुर्विध संघ उन्ह की आज्ञा सिराहार करते हुवे अपने अपने आत्मा का कल्याण करने लगे। भगवान सौधर्माचार्य भी अपनि शिष्य समुदाय के साथ भूमण्डलपर विहार करते हुवे अनेक भव्यात्माओं का कल्यान करने को प्रवृतमान हुए इति वीर चरित्रम् । ____ जैन तीर्थंकर भगवान् । इन्ह जगदोद्धारक महान् आत्मा के लिए ऐसा नियम है कि, वह तीसरे भवपूर्व वीसस्थानक जैसे अरिहन्त, सिद्ध प्रवचन, गुरु, स्थविर. बहुश्रुति-गीतार्थ, तपस्वी, ज्ञान का उत्कृष्ट पठन पाठन, दर्शनपद, विनयपद, आवशक, निर