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भगवान् महावीर. . (७३) भगवान महावीर प्रभु का एक साधु जो गोशाला का नाम से प्रसिद्ध था. जैन-आजीविक और बौद्ध इन तीनों धर्म में 'अहिंसा परमो धर्म' का उपदेश साधारण तय समान ही था। यज्ञ निषेध के विषय तीनों का उपदेश मिलता झूलता ही था. आजीविक और बौद्धधर्म के नियम बहुत सिधा और सरल थे जिस में ऐसी खास कर कोई रूकावट नहीं थी कि जैसे भगवान् महावीर के धर्म में थी । आजीविक और बौद्ध धर्म की निवआत्मज्ञानशून्य इतनी तो कमजोर थी कि वह उदय पाके शीघ्रही अस्त हो गया जो. कि जिस भूमिपर उनका जन्म हुवा था वहाँ आज शेष नाममात्र रह गया है जब जैनधर्म की नींव सरूमें ही अध्यात्मज्ञान, आत्मज्ञान, तत्त्वज्ञान, विज्ञानिक और स्याद्वादद्वारा ऐसी तो सुदृढ पायापर रची गइ थी की उनके अभेद कीला के अन्दर वादियों का प्रवेश होना भी मुश्किल है जैनधर्म का खास उद्देश्य सांसारिक प्रवृति से निवृत हो आत्मकल्यान करने का है इस सुदृढ नींव के कारण ही जैनधर्म सर्व धर्मों से उच्चासन भोगव रहा है जैन जनता की संख्या कम होने पर भी उनकी मजबुत नींव के कारण अन्योन्य धर्मों से टकर खाता हुवा भी
आज अपने पैरोंपर खडा हो अपने धर्म का महत्व विश्वव्यापि बना रहा है । अस्तु. ___पूर्वोक्त धर्मो के सिवाय पंचभूतवादी, जडवादी, अज्ञेयवादी और नास्तिकादि केइ छोटे वडे धर्म और उन की साखाए प्रच