SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 333
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ७० ) जैनजाति महोदय प्रकरण दूसरा. ( २३ ) अमल कम्पानगरी का राजा श्वेत ( २४ ) वतवयपट्टन का राजा उदाई ( अन्तिमराजर्षि ) (२५) क्षत्रीकुण्ड का राजा नन्दीवर्द्धन ( भगवान के भाई ) ( २६ ) कौशंबी नगरी का राजा उदाई (२७) उज्जन नगरी का राजा चण्डप्रद्योतन ( २८ ) पृष्टचम्पा का राजा शालमहाशाल ( दीक्षा ली थी) ( २९ ) पोतनपुर का राजा प्रश्नचन्द्र ( राजर्षि ) (३०) हस्तीशिर्ष नगर का राजा अदिनशत्रु (३१) ऋषभपुर का राजा धनबाहा ( ३२ ) वीरपुर का राजा वीरकृष्ण ( ३३ ) विजयपुर का राजा वासवदत्त ( ३४ ) सौगन्धी नगरी का राजा अप्रतिहत ( ३५ ) कनकपुर का राजा प्रियचन्द्र ( ३६ ) महापुर का राजा त्रत्सराज ( ३७ ) सुघोष नगर का राजा अर्जुन ( ३८ ) साकेतपुर का राजा मित्रानन्दी ( ३९ ) दशानपुर का राजा दर्शनभद्र इन दशों राजाओं के पुत्र पंच पंच सौ अन्तेवर और राजऋद्धि त्याग भगवान के पास दीक्षा ली थी । इनके सिवाय राजा अनंगपाल, चन्द्रपाल, वीरजस, जयसेन, वीरंगयादि अनेक राजा महाराजा और महामंत्री सेठ साहुकार - आनंद, कामदेव, चूलनिपिता, चूलशतक, सूरादेव, कुण्डकोलिक, शकडाल, महाशतक, शालनिपिता, नेदनिपिता, उदकपैढाल, संक्ख, पुष्कल,
SR No.002448
Book TitleJain Jati mahoday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherChandraprabh Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1995
Total Pages1026
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy