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________________ नेमिनाथ तीर्थंकर ( ४३ ) श्रीसमेत सिखरपर निर्वाण हुवे ५००००० वर्ष तक आपका शासन प्रवृतमान रहा । आपके शासनान्तरमें जयनामका चक्रवर्ती राजा हुवा ( देखो यंत्रसे ) ( २२ ) श्रीनेमिनाथ तीर्थंकर – प्राजीत वैमानसे कार्तिक वद १३ को शौरीपुरनगर समुद्रविजय राजा शिवादे राणि की कुक्षी में अवतीर्ण हुवे क्रमशः श्रावण शु० ५ को जन्म हुवा दश धनुष्य - श्यामवर्ण - संक्खलंच्छनवाला शरीर - कुमारपने में श्रावण शुद्ध ६ को एक हजार पुरुषोंके साथ दीक्षा ली. तपश्चर्यादि कर आसोज वद १५ को कैवल्य ज्ञान हुवा वरदत्तादि १८००० मुनि - यदीनादि ४०००० आर्यिकाए १७६००० श्रावक ३३६००० श्राविकाएँ हुई एक हजार वर्षका सर्वायुष्य पूर्णकर आसाढ शु०८ गिरनार पर्वतपर आपका मोक्षं हुवा ८३७५० वर्ष तक आपका शासन चलता रहा । आपका शासनमें श्रीकृष्ण वासुदेव - बलभद्र बलदेव - जरासिंध नामका नौवा प्रतिवासुदेव हुवा जिनका सविस्तार वर्णन त्रिषष्टि शलाका पुरुष चरित्र से देखना. आपका शासनान्तरमे बारहवा ब्रह्मदत्त नामका चक्रवर्ती हुवा ( देखो यंत्रसे ). ( २३ ) श्रीपार्श्वनाथ तीर्थंकर - प्राणान्त देवलोकसे चैत वद ४ को बनारसनगरी अश्वसेनराजा - वामाराणि कि रत्नकुक्षमें
SR No.002448
Book TitleJain Jati mahoday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherChandraprabh Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1995
Total Pages1026
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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