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जैन जाति महोदय.
साथ दीक्षा ग्रहन कर आत्मचिंतन करते हुवे की पोष शुदी ९ को कैवल्यज्ञान हुवा चक्रयुद्धादि ६२००० मुनि, सूचि आदि ६१६०० आर्यिकाए १९०००० श्रावक ३९३००० श्राविकाओ कि सम्प्रदाय हुई एक लक्ष वर्ष का सर्वायुष्यपूर्ण कर जेष्ठ वद १३ को सम्मेतसिखरपर निर्वाण हुवा आपका शासन आधा पल्योपम अच्छिन्नपणे चलता रहा आपके समय मिध्यात्वी पाखण्डि लोगों का जोर बहुत कम हो गया था. (आप छै पद्वीधारक थे)
( १७ ) श्रीकुंथुनाथ तीर्थंकर - सर्वार्थसिद्ध वैमान से श्रावण वद ९ को हस्तीनापुर शूरराजा श्रीराणि कि कुक्षमे अव - तीर्ण हुवे क्रमशः वैशाख वद १४ को जन्म हुवा ३५ धनुष्य पीत वर्ण - बकारा का चिन्हवाला सुन्दर शरीर - पाणिग्रहन - राजपद चक्र वर्ती राजभोगव के चैत वद ५ को एक हजार पुरुषों के साथ दीक्षा. ग्रहन करी तपादि भावनाओं से चैत शुद्ध ३ को कैवल्यज्ञान हुवा संबादि ६०००० मुनि दामन आदि ६०६०० आर्यिकाए १७९००० श्रावक ३८१००० श्राविकाए कि सम्प्रदाय हूइ ९५००० बर्षका सर्वायुष्य भोगवके वैशाख वद्द १ को सम्मेद शीखरपर आपका निर्वाण हुवा पल्योपम के चोथे भाग अविच्छि न्नपणे शासन प्रवृत्तमान रहा. ( आप छै पद्वीधारक थे )
(१८) श्री अरनाथ तीर्थंकर - सर्वार्थसिद्ध वैमानसे फागण शुद २ को हस्तिनापुरके सुदर्शनराजा श्री देविराणिकि कुक्षमे अवतार लिया क्रमशः मृगशर शुद १० को जन्म ३० धनुष्य सुवर्ण * सम्यग्दृष्टि, मंडलीक, चक्रवर्त्ति, मुनि, कैवली. तीर्थकर एवं ६ पद्वी ।