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जैन जाति महोदय प्र० प्रकरण.
से भी आगे सीलोनद्वीप तक व करांची से ले कर कलकत्ता तक अथवा उस से भी आगे श्याम, ब्रह्मदेश, जावा आदि देशों में जैनधर्मीलोग फैले मिलते हैं । हुए
( ३ ) हिन्दुस्तान के सम्पूर्ण व्यापार का एक तिहाई भाग जैनियों के हाथ में है ।
( ४ ) बड़े बड़े जैन कार्यालय, भव्य जैन मंदिर अनेक लोकोपयोगी संस्थाऐं हिन्दुस्तान के बहुत से बड़े २ नगरों में हैं
।
५ ) प्राचीन काल से जैनियों का नाम इतिहास प्रसिद्ध है और जैनधर्म के अनेक राजा हो गए हैं।
( ६ ) स्वत: अशोक ही बौद्धधर्म स्वीकार करने से पहले जैन धर्मानुयायी था ।
( ७ ) कर्नल टॉड साहेब के राजस्थानीय इतिहास में उदयपुर के घराने के विषय में ऐसा लिखा है कि कोई भी जैन यति उक्त स्थान में जब शुभागमन करता है तो रानी साहिबा उसे आदर पूर्वक लाकर योग्य सत्कार का प्रबन्ध करती है । इस विनय प्रबन्ध की प्रथा वहां अब तक जारी है ।
(८) प्राचीन काल में जैनियों ने उत्कट पराक्रम वा राज्य कार्य भार का + परिचालन किया है। आज कल के समय में इनकी राजकीय अवनति मात्र दृष्टिगोचर होती है ।
+ प्राचीन काल में चक्रवर्ती, अर्द्ध चक्री, महा मंडलीक, मंडलीक मादि बड़े २ पदाधिकारी जैनधर्मी हुए ।