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________________ जैन राजा. (२९) ( ४ ) सावत्थी ( श्रीवस्ती ) नगरीका अदिन शत्रुराजा (५) साकेतपुरका चन्द्रपालराजा निस्के पुत्रने जैन दीक्षा ली थी. (६) क्षत्रिक्लण्डनगरका सिद्धार्थराजा-नंदिवर्द्धनराजा.. (७) पोलासपुरका विजयसेनराजा जिस्के पुत्रने जैन दीक्षा लीथी. (८) कांचनपुरका धर्मशिलराजा. (९) कौसंबी नगरीका सांतानिक राजा उदाईराजा. जिसकी बहेन जयंतिने जैन दीक्षा ली थी. (१०) राजगृहका प्रसन्नजीत-श्रेणिकराजा. ( ११.) कपिलपुरका जयकेतुराजा. (१२) वैरंगपुरका वैराटराजा. ( १३ ) श्वेतम्बका नगरीका प्रदेशीराजा. ( १४ ) दर्शनपुरका दर्शनभद्रराजा. . ( १५) उज्जैननगरीका चंडप्रद्योतराजा. (१६) चम्पानगरीका दधिवाहनराजा. ( १७ ) चम्पानगरीका करकडुगजा-दुम्मइराजा निग्धाईराजा. ( १८) मथिला नगरीका नमिराजा. एवं चारों राजाओंने जैन दीक्षा ली - थी वह प्रतिक बुद्ध के नामसे मशहूर है. ( १९ ) हस्तीनापुरका अदिनशत्रुराजा एवे १० राजा सुखविपकसूत्रमे. (२०) चम्पानगरीका कौनक ( अजातशत्रु ) राजा.
SR No.002448
Book TitleJain Jati mahoday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherChandraprabh Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1995
Total Pages1026
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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