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________________ रामचन्द्र-श्रीकृष्ण. (२७) है कि राजा दशरथ की ६०००० वर्ष कि आयुष्यथी और रामचन्द्रजी ने इग्यारा हजार वर्ष अयोध्या मे राज कीया था क्या इस वातको कोइ सिद्धकर वतला सक्ते हैं कि ५०००० वर्ष पूर्व ६०००० वर्ष का आयुष्य हो सत्ता था एसा ही श्री कृष्णचंद्र का समय है पौराणिक लौग श्रीकृष्णचंद्र हुवो को करीबन ५००० वर्ष मानते है और उनकि आयुष्व १००० वर्षका बतलाते है यह भी वैसा ही है कि जैसा रामचंद्रजी का समय, पर ५००० वर्षों पहला १५०० वर्ष का श्रायुष्य होना कीसी हालत में सिद्ध नहीं होता है जैन शास्त्रकारोने रामचन्द्रजी का समय तीर्थंकरों का शासनपरत्वे ११८७००० वर्ष पूर्व का और श्रीकृष्णचन्द्रका समय करीबन ८७००० वर्ष पूर्वका माना है वह युक्तायुक्त है इतने समय के अन्तर मे पूर्व लिखीत आयुष्य ठीक ठीक हो सक्ता है। इन सब प्रमाणोंसे यह सिद्ध होता हैं कि भगवान् ऋषभदेव इस अवसपिणि कालमें जैन धर्म के आदि प्रवृतक है चक्रवृति भरत, महाराज रामचंद्र, वासुदेव श्रीकृष्णचंद्र और कौरव पांडव यह सव महापुरुष जैन ही थे इनके सिवाय सेकडो हजारों राजा जैनधर्मके परमोपासक थे जिनका जीवन जैनशास्त्रों में आज भी उपलब्ध है विद्वानों का मत्त है कि भग १ “ चतुरा समायुक्तं मया सह च तं नया । षष्टि वर्ष सहस्राणि, जातस्य मम कौशिक । १ । (बा० रा० का० १ सर्ग २०) २ दश वष सहस्त्राणि, दश वर्ष शतानि च। रामो राज्य मुपासित्वा ब्रह्मलोक प्रयास्यति । (बा० रा. बालकाण्ड सर्ग १ श्लोक १७)
SR No.002448
Book TitleJain Jati mahoday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherChandraprabh Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1995
Total Pages1026
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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