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ऐतिहासिक प्रमाण.
(१७) स्वामी के बाद शरीर त्याग किया, यह भी निर्विवाद सिद्ध ही है कि बौद्ध धर्म के संस्थापक गोतम बुद्ध के पहिले जैनियों के तेवीस तीर्थकर और होचुके थे।
( ३१ ) मिस्टर टी डब्लू राईस डेविड साहिब इन साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका० व्हा. २६ नाम की पुस्तक में लिखा है, यह बात अब निश्चित है कि जैन मत बौद्ध मत से निः संदेह बहुत पुराना है और बुद्ध के समकालीन महावीर द्वाग पुनः संजीवन हूआ हैं
और यह बात भी भले प्रकार निश्चय है कि जैनमत के मंतव्य बहुत ही जरुरी और बौद्ध मत के मंतव्यो से बिलकुल विरुद्ध है, यह दोनों मत न केवल प्रथम ही से स्वाधीन हैं बल्कि एक दूसरे से बिलकुल निगले हैं।
इत्यादि सेंकडो नहीं पर हजारो प्रमाण सांसार साहित्य में उपलब्ध है जिनसे यह सिद्ध होता है कि भगवान महावीर पार्श्वनाथ
और नेमिनाथ ऐतिहासिक पुरुष है और इनकी कालगीणना इसा से हजारो वर्ष पूर्व कि है इन से गौरखनाथ मच्छेन्द्रनाथ के शिष्यों से जैन धर्म प्रचलीत हुवा तथा जैन धर्म बौद्ध धर्म कि साखा बतलानेवाले और जैन धर्म के उत्पादक महावीर ओर पार्श्वनाथ माननेवालो कि कल्पनाए बिल्कुल असत्य-मिथ्या व अन्ध परम्पर और द्वेष बुद्धि का ही कारण ठेर सक्ती है ।
उपरोक्त ऐतिहासिक प्रमाणों से यह भी सिद्ध हो जाता है कि वेद काल के पूर्व भी जैन धर्म आस्तित्व था तद्यपि हमे कुच्छ वेदों