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ऐतिहासिक प्रमाण. (१३) दृष्टिमें आता है तब मुसलमानोंकी धार्मिक किताबोंमें उसका प्रयोग बहुत पीछे हुआ है.
(जैन धर्म की महत्ता ) ___ (१८) रायबहादुर पूर्णेन्दु नारायणसिंह एम० ए० बांकीपुर लिखते है. जैन धर्म पढनेकी मेरी हार्दिक इच्छा है क्योंकि मैं ख्याल करता हूं कि व्यवहारिक योगाभ्यासके लिये यह साहित्य सबसे प्राचीन ( Oldest ) है । यह वेदकी रीति रिवाजोंसे पृथक है इसमें हिन्दु धर्मसे पूर्वकी आत्मिक स्वतंत्रता बिद्यमान है, जिसको परम पुरुषोंने अनुभव व प्रकाश किया है यह समय है कि हम इसके विषयमें अधिक जानें।
(१६) महामहोपाध्याय पं० गंगानाथमा एम० ए० डी० एल० एल. इलाहाबाद - ' जबसे मैंने शंकगचार्य द्वारा जैन सिद्धान्त पर खंडनको पढा है, तबसे मुझे विश्वास हुआ कि इस सिद्धान्तमें बहुत कुछ है जिसको वेदान्तके प्राचार्यने नहीं समझा, और जो कुछ अब तक मैं जैन धर्मको जान सका हूं उससे मेरा यह विश्वास दृढ हुआ है कि यदि वह जैन धमको उसके असली ग्रन्थोंसे देखनेका कष्ट उठाता तो उनको जैन धर्मसे विरोध करनेकी कोई बात नहीं मिलती।
(२०) श्रीयुत् नैपालचन्द राय अधिष्ठाता ब्रह्मचर्याश्रम शांतिनिकेतन बोलपुर-मुझको जैन तीर्थंकरोंकी शिक्षा पर अतिशय भक्ति है। __ (२१) श्रीयुत् एम. डी. पाण्डे थियोसोफिकल सोसाइटी बनारस · मुझे जैन सिद्धान्तका बहुत शौक है, क्योंकि कर्म सिद्धान्तका इसमें
सूक्ष्मतासे वर्णन किया गया है।