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ऐतिहासिक प्रमाण.
( ११ )
ऊपरकी हकीकतसे यह बात सिद्ध होती है कि आजसे ३३१६ वर्ष पहले काश्मीर तक जैनधर्म प्रचार पा चुका था और बडे बडे गजा लोग इस धर्म के माननेवाले थे, इसी इतिहाससमुच्चय में रामायंणका समयवर्णन करते (पृष्ठ ६ ) बाबु हरिश्चंद्र लिखते हैं " प्रयोध्याके वर्णनमें उसकी गलियोंमें जैन फकीरोंका फिरना लिखा है, इससे प्रकट है कि रामायण के बननेके पहले जैनीयोंका मत था ।
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(१२) डाक्टर फुहरर ने एपीग्राफिका इंडिका वॉल्युम २ पृष्ठ २०६–२०७ में लिखते हैं कि – “ जैनियोंके बाईसवें तीर्थंकर नेमिनाथ ऐतिहासिक पुरुष माने गये है, भगवद्गीताके परिशिष्ट में श्रीयुत बरवे स्वीकार करते है कि नेमिनाथ श्रीकृष्ण के भाई ( Cousih) थे, जब कि जैनियोंक बाईसवें तीर्थकर श्रीकृष्ण के समकालीन थे तो शेप इक्कीस तीर्थंकर श्रीकृष्णसे कितने वर्ष पहिले होने चाहिये, यह पाठक स्वयं अनुमान कर सकते है ।
(१३) " जैनधर्म एक ऐसा प्राचीन धर्म है कि जिसकी उत्पत्ति तथा इतिहासका पत्ता लगाना एक बहुत ही दुर्लभ बात है ।
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( मि० कन्नुलालजी ) .
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(१४) निस्संदेह जैनधर्म ही पृथ्वी पर एक सच्चा धर्म है, और यही मनुष्यमात्रका आदि धर्म है । और प्रदेश्वरको जैनियोंमें वहुत प्राचीन और प्रसिद्ध पुरुष जैनियोंके २४ तीर्थकरों में सबसे पहिले हुए है ऐसा कहा है ।
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( मि० श्रावे जे० ए, डवाई मिशनरी )