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जैन धर्म की प्राचीनता.
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कि दूसरे धम्मंके शास्त्र हाथमें लेने में महान् पाप मान बैठे है इतनाही नहीं पर हस्तिना ताड्यमानोऽपि न गच्छेजैन मन्दिरम् " फिर भी यह समजमें नहीं आना है कि वह दूसरा प्राचीन धर्मको नूतन बतलाने को क्यों तैय्यार हो जाते हैं ?
जैन शास्त्रोंसे जैन धर्म अनादि है. हिंदु शास्त्रोंमें वेद ईश्वर कृत और सृष्टि आदि माने गये है पर वेड रचना कालके पूर्व भी पृथ्वी पर जैन धर्म मोजुद था एसा वेदोंसे ही सिद्ध होता है. वह हम आगे चलके बतलावेंगें । पहिले हम ऐतिहासिक शोधखोल द्वारा सिद्ध हुइ जैन धर्मकी प्राचीनता जनता के सन्मुख रख देना चाहते है कि मनमानी कल्पनाएं पर विश्वास करने वालोंका भ्रम दूर हो जाय । जैन धर्मकी ऐतिहासिक प्राचीनता के विषय में यदि निश्चयात्मक कहा जाय तो यही कहना होगा कि जितनी भारत वर्षके ऐतिहासिक कालकी प्राचीनता सिद्ध होती जायगी उतनी ही जैन धर्मकी प्राचीनता बढती जायगी. वर्तमानमें जिस प्रकार भारत वर्षका इतिहासकाल इससे पूर्व ६०० - ७०० वर्ष से प्रारंभ होना है. इसी प्रकार जैन ऐतिहासिक काल गीनना-समझना चाहिए. इतनाही नहीं वल्के जैन धर्मकी ऐतिहासिक प्रमाणिकता इस्वी सन् पूर्व ८००९०० वर्ष तक बढ़ जाती है क्यों कि आधुनिक खोजने अन्तिम तीर्थंकर महावीर के पूर्वगामि २३ वां तीर्थकर पार्श्वनाथको ऐतिहा सिक पुरुष सिद्ध कर दिया है जो कि भगवान् महावीर से २५० वर्ष पहले हुवे थे इससे जैन ऐतिहासिक प्राचीनता इसके पूर्व नौवी शतादीसे प्रारंभ होना ठीक साबित कर दिया है ।