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लेखक का परिचय.
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इस चौमासे में श्री संघ की ओर से करबिन् रु. ९०००) सुकृत कार्य में व्यय हुए ।
गुरु गुण वर्णन |
गुरु ' ज्ञान ' नगीना । आछो दीपायो मार्ग जैन को । शहर फलोधी से आप पधारे । लोहाणा नगर मझार ॥ श्री संघ मिल महोत्सव कीनो । वरत्या जै जै कार हो || गु० ॥ १ ॥
चिरकाल से थी अभिलाषा । पूरण की गुरु आज || सूत्र भगवती वचे व्याख्यानमें । सुग हर्षे सकल समाज हो ॥गु० ॥२॥ जैन नवयुवक मित्र मण्डल अरु | सुखसागर ज्ञान प्रचार || संस्था स्थापि किया सुधारा | हुआ बहुत उपकार हो | गु० || ३ || बसहजार पुस्तकें छपाई | किया ज्ञान परचार || न्याति जाति कई सुधारा । कहते न आवे पार हो | गु० ॥ ४ ॥ ज्ञानप्रचार समाज सुधारण । कमर कसी गुरुराज ॥ यथा नाम तथा गुण आप के । गुणगावे 'युवक' समाज हो ॥ गु०॥५॥ लोहावट से बिहार कर आपश्री पली पधारे । लोहावट श्री संघ 1 तथा मण्डलके सभासद यहाँ तक साथ थे । पली में श्रीमान् छोगमल जी कोचरने स्वामीवात्सल्य भी किया था । भंडारी चन्दनचन्द्रजी तथा वैद्य मुहता वदनमलजी के साथ आप खींवसर होकर नागोर पधारे ।
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विक्रम संवत् १९८१ का चातुर्मास (नागोर ) । आपश्री का अठारहवाँ चातुर्मास नागोर में हुआ । आप व्या