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जैन जाति महोदय. जीमनवारों में भी आवश्यक परिवर्तन हुए । जब से हमारे । मुनिराजों का ध्यान समाज की पुरानी हानिप्रद रुढियों को तुडवाने की ओर गया है हमारे समाज में जागृति के चिह्न प्रकट हो रहे हैं। प्रत्येक स्थानपर कुछ न कुछ आन्दोलन इसी प्रकार के प्रारम्भ हुए हैं। लोहावट नगरमें इस कार्य की नींब सर्व प्रथम आपहीने डाली । जिसे समाज के हजारों रूपये प्रतिवर्ष व्यर्थ खर्च हो रहा थे वह रुक गये ।।
इस वर्ष ये पुस्तकें प्रकाशित हुई।
५००० द्रव्यानुयोग द्वितीय प्रवेशिका | १००० शीघ्रबोध भाग १ दूसरीवार । १००० , " २ " १००० , , ३ , १००० ,, ,, ४ ,
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१००० गुणानुराग कुलक हिन्दी भाषान्तर ५००० पंच प्रतिक्रमण विधिसहित । १००० महासती सुर सुन्दरी । ( कथा ) १००० मुनि नाममाला । ( कविता ) १००० स्तवन संग्रह भाग ४ था । १००० विवाह चूलिका की समालोचना । १००० छ कर्म ग्रन्थ का हिन्दी अनुवाद । २१००० सब प्रतिएँ।