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________________ भादर्श-ज्ञान मुताजी भूरमलजी के एक पुत्र नवलमलजी और एक शृंगार बाई पुत्री थे । नवलमलजी का विवाह बीसलपुर के प्रसिद्ध नागरिक श्रीमान् प्रयागदासजी चोरडिया की सुपुत्री रूपादेवी के साथ वि. सं. १९३३ माघ शुक्ला ५ को बड़े ही समारोह से हुआ तथा श्रृंगारबाई का विवाह जोधपुर के मुनौयत पृथ्वीराजजी साहिब के साथ बड़े ही ठाठ से कर दिया था । अतः अपका सब कुटम्ब सुखी था । ____ जोधराजजी साहब के एक पुत्र जीवणचंदजी और दो पुत्रियाँ थी। जिसमें जीवणचन्दजी का विवाह नांदड़े हुआ, और आसीबाई का विवाह जोधपुर के डोसी भागचन्दजी के साथ तथा दूसरी बीरजुधाई का सुरपुरा के जांघड़ा धनराजजी के साथ लग्न कर दिया। मुलतानमलजी साहब के एक पुत्र उदयचन्दजी और एक पुत्री केसरबाई थे, जिसमें उदयचंदजी का विवाह बीसलपुर के शाह फकीरचंदजी सुराणा की पुत्री के साथ हुआ, और केसर बाई का विवाह जसपाली के श्री० केसरीमलजी के साथ कर दिया। मुत्ताजी नवलमलजी का विवाह बीसलपुर के प्रसिद्ध चोरडिया प्रायगदासजी की सुपुत्री रूपादेवीजी के साथ हुआ था। जो ऊपर वतलाया जा चूका है। श्रीमान् प्रयागदासजी साहिब बीसलपुर में एक अच्छे प्रििष्ठत धनाढ्य और व्यापार में अग्रगण्य नागरिक थे पर रूपादेवी के अलावा आपके कोई भी सन्तान नहीं थी, अतएव आपकी जीवन आधार केवल रूपादेवी ही थी। रूपादेवी का विवाह सम्पन्न हुये तीन वर्ष व्यतीत हो गये।
SR No.002447
Book TitleAadarsh Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1940
Total Pages734
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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