________________
वंश परिचय
(१९) रत्नसिंहः
(२०) रूपणसिंहः-आपने शत्रुजय का विराट संघ निकाला।
(२१) जोरावरसिंहः-१६७१ में खेरवा से बनाड़ (बैनापुर)
गये, आपके १० पुत्र ७ पुत्रियें और विशाल परिवार था, राज्य की खटपट से खेरवा का त्याग कर दिया, पीछे मनाने को आये तो आप न जा कर अपने एक पुत्र गोपालसिंह को खेरवे भेज दिया था।
(२२) राजसिंह-बड़े वीर योद्धा थे ।
(२३) जैत्रसिंहः-शत्रुजय का संघ निकाला । यात्रा कर लेन
| (प्रभावना ) दी जिसमें १३ लक्ष रुपये खर्च
1 किये। (२४) रामसिंहः-देवगुप्त सूरि का पाट महोत्सव किया ।
(९५) गजसिंहः-आपके पुत्र रघुवीरसिंह आचार्य देवगुप्र सूरि
| . के पास दीक्षा लेकर आचार्य हुए । (२६) बोरीदासः-इनको चित्राबेल मिली थी, श्राचार्य श्री देवगुप्त .. । सूरी के शासन काल में बहुत द्रव्य व्यय किया,
I बनाड़ में श्री पार्श्वनाथ का मन्दिर बनवाया। (२७) मारमः-धीर संग्राम में काम आये, आपको स्मृति के