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मादर्श-ज्ञान
ही क्यों पर भगवान भास्कर ने अपनी तेजस्वी किरणों का प्रकाश चारों ओर डाल दिया जिसकी भी आप को खबर नहीं पड़ी।
युवक के मकान पर एक वृद्ध ब्राह्मण भिक्षा के लिए श्रा निकला।
ब्राह्मण-आशीर्वाद सेठ साहब ! इतना दिन आ जाने पर भी आप चारपाई पर लेट रहे हैं, तो क्या आपके शरीर में कोई दर्द तो नहीं है न ?
युवक-युवक ने उठ कर अपना पैर दिखाया और कहा कि महाराज मेरी जांघ में एक फोड़ा हुआ है इसका बहुत दर्द है।
ब्राह्मण--इसको कितने दिन हुए और इसके लिए आपने क्या इलाज किया ?
युवक-पन्द्रह दिन हुए तथा इसके लिए मैंने बहुत इलाज किया, अभी तक आराम नहीं है, इतना ही क्यों पर चार पांच दिन से तो और भी वेदना बढ़ गई है, जिसमें आज की रात्रि तो मैंने बहुत मुश्किल से निकाली है। यदि आप कुछ इलाज जानते हों तो कृपा कर बतलाइये ?
ब्राह्मण-सेठजी ! होना न होना तो ईश्वर की मर्जी पर है पर मैं एक ऐसी दवाई आपको बतलाता हूँ कि जिसमें आपको एक पाई तक भी खर्च न हो और मिन्टों में दर्द चला जाय ।
युवक-फिर तो चाहिये ही क्या कृपा कर जल्दी बतलाइये ?
ब्राह्मण-आपके पास कोई आदमी नहीं है जो मैं बतलाऊँ, वह दवाई लाकर उसको पीसकर पट्टी तैयार कर दर्द पर बांध दे ।
युवक-इस समय आदमी तो मेरे पास कोई नहीं है । ब्राह्मण-क्या भापके घर में आप अकेले ही हैं ?