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वैराग्य का कारण
मेरा भी इरादा हो जाय तो मुझे भी आप दीक्षा देकर मेरे कल्याण में सहायक बनना । - युवक-आप मेरे परमोपकारी हैं, अतः मैं आपको वचन देता हूँ कि आपकी कृपा से यदि पहिले मुझे दीक्षा आ जाय, और बाद में आप दीक्षा लेंगे तो मैं दीक्षा देने में जरूर सहायक बनूंगा।
मुनि अनाथी की करिता ने तो एक खास डाक्टर का काम कर बतलाया, युवक की वेदना वैराग्य में परिणत हो गई । कुछ देर तक ठहर कर वृद्ध ने कहा कि अब मैं जाता हूँ, तुम अपने चित्त में शान्ति रखना।
युवक-ठीक मुताजी, समय मिले तो सुबह और पधारना ।
वृद्ध के जाने के बाद अनाथीमुनि तो मानो युवक का ध्येय ही बन गया और पल पल में वही बात याद आने लगी कि कब मेरी वेदना जावे और कब मैं दीक्षा ग्रहण करूँ । माता, पिता, भाई, स्त्री आदि संसार से आपको इतनी त्रास आ गई कि वे सब स्वार्थी दिखने लग गये । फिर भी आश्चर्य तो इस बात का था कि उस समय युवक की उम्र केवल २१ वर्ष की थी, जिसमें भी आपके विवाह को मात्र चार वर्ष ही हुए थे। इस हालत में बीमारी का कारण पा कर दीक्षा का दृढ़ संकल्प कर लिया। यह एक बड़े ही आश्चर्य की बात है। खैर उपादान सुधरा हुआ हो तो कारण भी मिल जाता है। : . यद्यपि आपकी वेदना अभी कम नहीं हुई थी पर परिणामों की धारा में इतना परिवर्तन हो गया कि उस वेदना को भूल कर दीक्षा के अनेक पुल बांधने में शेष रात्रि व्यतीत कर दो। इतना