________________
-११
चल कर वहाँ से आये कापरड़े, बोर्डिग का देखा हाल । कोप ऐसा हुआ कुदरत का, जिसने बना दिया बे हाल ।। चोपड़े धोलेरा होकर पाली, शरीर का कुछ कारण था । जोधपुर श्रीसंघ की आप्रह, साधन रोग निवारण था ॥१६॥
भंडारीजी थे साथ बिहार में, चलकर जोधाणे आये थे। गाजा बाजा से हुआ सम्मेला. सज्जन सब हरषाये थे । पर्युषणों का उच्छव अपूर्व, जैन धर्म दीपाया था ।
बीसलपुर होकर फिर कापरड़े, पार्श्व भेट सुख पाया था॥१६८।। आलवी-चोपड़ा और निंबली, पाली को पावन बनाया था। मूर्ति पूजा की प्राचीनता, इतिहास लिखवाया था । संघ अाग्रह से वहां चौमासा, आनंद खूब मनाया था। बल्लभ विजय को रख पास में, बेचर से ज्ञान दिलाया था॥१६९।।
वहां से चल कर आये सोजत संघ सम्मेला भारी था। प्रवृतकजी आदि कई मुनिवर, धर्म स्नेह मनुहारी था । पब्लिक हुआ व्याख्यान आपका,जनता लाभ उठाया था।
नया मंदिर दादा बाड़ी पर,जिसका जुलूस सवाया था ।।१७०।। चंडावल, पीपलिये पुनः झूठे, पर गांव सीदड़े आये थे । नया नगर के श्राए भक्तगण, भक्ति भाव दिखाये थे । आग्रह थी वहां श्री सँघ की, पर अजमेर को जाना था । . दो दिन की स्थिरता करके, दो व्याख्यान सुनाना था ॥१७१।।
जा रहे थे अजमेर नगर को, संघ सामने आया था । उस दिन ठहरे केसरगंज में,फिर नगर प्रवेश कराया था।। नागोर में श्रीमान समदडिया मंदिर नया बनाया था । प्रतिष्ठा के कारण पाली में, सुखलालजी आया था ॥१७२॥