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आदर्श-ज्ञान-द्वितीय खण्ड
५६६ गियों का क्या हाल होता १ अर्थात् घर मांड कर बैठ जाते और क्या होने वाला था? ____ यतिओं की शिथिलता के कारण तो पीला कपड़ा कर संवे. गियों ने शासन का उद्धार किया, पर पीले कपड़े वाले नामधारी संवेगियों के लिए किसी उद्धारक को आवश्यकता थी जिसको कि हूँ ढियों से निकले हुए साधुओं ने पूर्ण को, अर्थात् पतित होते हुए संवेगियों का उद्धार किया । पर इस समय तो वह शिथिलता अपनी चरम सीमा तक पहुंच गई है, और पीले कपड़ों का जीर्णोद्वार करने की और भी आवश्यकता प्रतीत होने लगी है । खैर, शासनदेव किसी न किसी को बल एवं योग्यता प्रदान करेगा ही।
८८ मनि श्री का सिद्धगिरि से बिहार
श्री सिद्धगिरी की यात्रा कर माघ कृष्ण पंचमी को वहाँ से विहार कर क्षमाागरजी वगैरह ४ साधुओं तथा हमारं चरित्र नायकजी, एवम् सब पांच साधुओं ने वहाँ से विहार कर सिहोर होकर वल्लभी आए, वहा जिनमंदिर में एक ओर गुरुमन्दिर बनवाया था; उसमें बहुत से पाचार्यों की मूर्तियां भी स्थापित की गई
थीं उनके भी दर्शन किये बाद वहाँ से वर वाला, चाकी, खरल होकर धंधूके आये । वहाँ दो दिन ठहरे मुनिश्री ने एक सार्वजनिक व्याखान भी दिया। वहाँ से फुलेरा, उतेलिया, कोट, गंगार बाबला और सरखेज होते हुए अहमदाबाद अ ये और हटीसिंह की बाड़ी में श्रीधर्मनाथ तीर्थकर के दर्शन कर बाड़ी में ठहर गये । पीछे पीछे साध्धियाँ भी अहमदाबाद आ पहुँची और वे भी उसी बाड़ी के दूसरे मकान में ठहर गई और उनके आने जाने का प