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पन्यासगी से प्रश्नोत्तरः
पन्यासजी-शुतमे भगवती सूत्र जोयो छे ? मुनिश्री-जी साहिब । पन्यासजी-केटली बार तमे भगवतीजी सूत्र बांच्यो छे ? मुनिश्री-सात बख्त बांच्यो छे । पन्यासजी-भगवतीजी सूत्र ना वर्ग केटला छे ? मुनिश्री---१९ वर्ग अने तेना १९० उदेशा छ। पन्यासजी-श्रा महाजुम्मा बचाय छे तमने समझ पड़ेछे ?
मुनिश्री-जी हाँ खुड़िगजुम्मा, रासीजुम्मा, अने महाजुम्मा अमारे कण्ठस्थ करेला छे। ..
पन्यासजी-गसी जुम्मा बोलो। मुनिश्री-विस्तार थी कही संभलाव्या। पन्यासजी-गजब तमें ज्ञान कण्ठस्थ कियो छ । भंडारीजी-४०० थोकड़ा आपका कण्ठस्थ याद हैं । पन्यासजी-अरे एटलो बधो ज्ञान तमे कौने पासे भण्या । मुनिश्री-ढूंढ़िया ने पासे। पन्यासजी-शुं ढूंढ़ियों मां पण शास्त्रनो एटलो बोध-ज्ञान छे?
मुनिश्री-साहिब मारा ख्याल थी तो शास्त्र नो जेटलो ज्ञान कण्ठस्थ करवा में ढूंढ़िया मेहनत करे छे तेटली शायद ही संवेगी करता हशे । हूँ घणा संवेगी साधु ना दर्शन किधा छे पण शास्त्रो नो बोध ओछा नजर आवे छे । भले व्याकरण न्याय तर्क नो अभ्यास करता हशे पण ज्यां सुधी जैनागमों नो अभ्यास नयी त्यां सुधी चारित्र नी शुद्धता नज होय ।
पन्यासजी-पण ढूंढिया टीक वगैरह नथी मनता ? मुनिश्री-पण ए एटला पुरतीज के मूर्ति पजा विषयबाली